महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 पारित करके बलात्कार के अपराधियों के लिए मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान किया है। पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए अक्टूबर 2019 से न्याय विभाग, यौन अपराधों से संबंधित मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए देश भर में 389 अनन्य पोक्सो न्यायालयों सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफ0 टी0 एस0सी0 ) की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है। ऐसी प्रत्येक अदालत में 1 न्यायिक अधिकारी और 7 सदस्य कर्मचारियों का प्रावधान किया गया है। कुल पात्र 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 28 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस योजना में शामिल हो चुके हैं। पुदुचेरी ने इस योजना में शामिल होने के लिए एक विशेष अनुरोध किया और मई, 2023 में एक विशेष पॉक्सो कोर्ट का संचालन किया गया।
यह योजना शुरू में रुपये 767.25 करोड़ के कुल परिव्यय पर दो वित्तीय वर्षों 2019-20 और 2020-21 में एक वर्ष की अवधि के लिए थी। इसमें 474 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्से के रूप में निर्भया फंड से पूरा किया जाना था । वित्त वर्ष 2019-20 में 140 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020-21 में, 160 करोड़ रुपये केंद्रीय शेयर के रूप में राज्यों को जारी किए गए थे। मंत्रिमंडल ने 1572.86 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ दो साल यानी मार्च, 2023 तक एफ0टी0एस0सी0 की योजना को जारी रखने को मंजूरी दी थी । इसमें 971.70 करोड़ रुपये केंद्रीय हिस्से के रूप में थी । वित्तीय वर्ष 2021-22 में रु.134.56 करोड़ एवं वित्तीय वर्ष 2022-23 में रु. 200.00 करोड़ राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किया गया है। केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में योजना का आगे विस्तार प्रक्रियाधीन है।
जून 2023 तक, 412 अनन्य पोक्सो अदालतों सहित 763 एफटीएससी (फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय) , 29 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत हैं, जिनमें 1,74,000 से अधिक लंबित मामलों का निपटान किया है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कुल रु. 200.00 करोड़. का आवंटन किया गया है, जिसमें से रु. 100.37 करोड़. राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में एफटीएससी के कामकाज के लिए केंद्रीय हिस्से के रूप में 31 जुलाई 2023 तक जारी किया गया है।
योजना के मजबूत कार्यान्वयन के लिए, इस विभाग ने मामले के आंकड़ों की मासिक निगरानी के लिए एक ऑनलाइन निगरानी ढांचा (पोर्टल) तैयार किया है। उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरलों और राज्य पदाधिकारियों के साथ नियमित समीक्षा बैठकें की जा रही हैं।