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    दिल्ली जिला न्यायालयों का आर्थिक क्षेत्राधिकार

    Pecuniary Jurisdiction of Delhi District Courts

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार को दिल्ली के सभी बार संघों की समन्वय समिति से दिल्ली के जिला न्यायालयों की मूल आर्थिक अधिकारिता को मौजूदा 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए करने का अनुरोध प्राप्त हुआ था ।

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार ने इस अनुरोध पर विचार किया और देखा कि आर्थिक अधिकारिता में वृद्धि से उच्च न्यायालय पर बोझ कम होगा और अधीनस्थ न्यायालयों में मामलों के निपटान में पर्याप्त सुधार होगा, क्योंकि दिल्ली में अब ग्यारह जिलों के निर्माण के कारण अधीनस्थ न्यायालयों की संख्या में वृद्धि हुई है। दिल्ली जिला न्यायालयों की आर्थिक अधिकारिता में वृद्धि से आम जनता को उनके स्थान के आसपास के जिला न्यायालयों तक पहुंचने में सुविधा होगी। इसके अलावा, यह दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में जिला न्यायालयों के स्थान के कारण “दरवाजे पर न्याय” प्रदान करने में वादियों के लिए भी सहायक होगा ।

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के जिला न्यायालयों की आर्थिक सीमा को मौजूदा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय अधिनियम, 1966 में संशोधन की मांग करते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से प्राप्त प्रस्ताव की जांच की गई और एक विधेयक अर्थात दिल्ली उच्च न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2015 संसद में पेश किया गया। उक्त विधेयक पर संसद के दोनों सदनों द्वारा विचार किया गया और पारित किया गया । विधेयक को 10.08.2015 को भारत के राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई और इसे 26.10.2015 से लागू किया गया है ।

    दिल्ली के जिला न्यायालयों की आर्थिक अधिकारिता को बढ़ाने से दिल्ली उच्च न्यायालय का बोझ कम होगा और अधीनस्थ न्यायालयों में मामलों के निपटान में पर्याप्त सुधार होगा। इससे आम जनता को उनके स्थान के आसपास के 6 जिला न्यायालय परिसरों में स्थित 11 जिला न्यायालयों तक पहुंचने में सुविधा होगी, जिससे वादियों को उनके दरवाजे पर त्वरित न्याय सुनिश्चित होगा ।