कुटुंब न्यायालयों की स्थापना और इसकी कार्यप्रणाली संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है। पारिवारिक न्यायालय अधिनियम, 1984 में विवाह और पारिवारिक मामलों से संबंधित विवादों के त्वरित समाधान और सुलह को बढ़ावा देने के लिए उच्च न्यायालयों के परामर्श से राज्य सरकारों द्वारा पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान है। इस अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकार के लिए ऐसे प्रत्येक शहर या कस्बे के लिए एक पारिवारिक न्यायालय स्थापित करना अनिवार्य है, जिसकी आबादी दस लाख से अधिक है। राज्यों के अन्य क्षेत्रों में, यदि राज्य सरकारें आवश्यक समझें तो पारिवारिक न्यायालय स्थापित किए जा सकते हैं।
14वें वित्त आयोग ने वर्ष 2015-2020 के दौरान उन जिलों में 235 पारिवारिक न्यायालय स्थापित करने की सिफारिश की थी जहां ये उपलब्ध नहीं थे। आयोग ने राज्य सरकारों से इस उद्देश्य के लिए कर हस्तांतरण (32% से 42%) के माध्यम से उपलब्ध बढे हुए राजकोषीय मुनाफे का उपयोग करने का भी आग्रह किया।
अक्टूबर 2024 तक देश भर में 850 पारिवारिक न्यायालय कार्यरत हैं।