छोटे यातायात अपराध के मामलों से निपटने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के तहत आभासी अदालतों की एक नई अवधारणा प्रस्तुत की गई है । इसमें ईंट और मोर्टार से बने कोर्ट रूम की आवश्यकता नहीं होती है । इस अवधारणा का उद्देश्य, अदालत में उल्लंघनकर्ता या अधिवक्ता की भौतिक उपस्थिति को समाप्त करके अदालतों में आने वाले लोगों की संख्या को कम करना है । वर्चुअल कोर्ट का प्रबंधन, वर्चुअल जज द्वारा किया जा सकता है, जिसका अधिकारिता का विस्तार पूरे राज्य में किया जा सकता है और सातों दिन चौबीसों घंटे (24X7) कार्य किया जा सकता है । इसमें न तो वादी को न्यायालय आने की आवश्यकता होगी और न ही न्यायाधीश को न्यायालय की भौतिक रूप से अध्यक्षता करने की आवश्यकता होगी । इस प्रकार, कीमती न्यायिक समय और जनशक्ति की बचत होगी ।
31.01.2023 की स्थिति के अनुसार, 17 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात दिल्ली (2), हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल (2), महाराष्ट्र (2), असम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर (2), उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मेघालय, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में 21 ऐसी अदालतें हैं ।
वादियों को ई-फाइलिंग के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रूप से वाद दायर करने और न्यायालय शुल्क या जुर्माना का pay.ecourts.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान करने की सुविधा प्रदान की जाती है । वादीगण, सेवा वितरण के लिए बनाए गए विभिन्न चैनलों के माध्यम से मामले की स्थिति को ऑनलाइन भी देख सकते हैं, इसलिए पूरी कवायद घर बैठे की जा सकती है । 21 आभासी अदालतों द्वारा 2.53 करोड़ से अधिक की सुनवाई की गई और 31.01.2023 तक 33 लाख से अधिक मामलों में 359 करोड़ रुपए से अधिक का ऑनलाइन जुर्माने की वसूली की गई है ।