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    कुटुंब न्यायालय

    Last updated: 17-03-2023

    Family Court

    कुटुंब न्यायालय (फैमिली कोर्ट) स्थापित करने और इनके कार्य संचालन का मामला संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से राज्य सरकार के क्षेत्र में आता है। कुटुंब न्यायालय अधिनियम, 1984 में विवाह और परिवार संबंधी मामलों से संबंधित विवादों का निपटान समझौते द्वारा करने को समझौते को बढ़ावा देने और उनका शीघ्र निपटान करने के लिए उच्च न्यायालय के परामर्श से राज्य सरकारों द्वारा कुटुंब न्यायालय (फेमिली कोर्ट) स्थापित करने का प्रावधान है। इस अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकार के लिए 1 मिलियन से अधिक आबादी वाले प्रत्येक नगर और कस्बे में एक फैमिली कोर्ट स्थापित करना अनिवार्य है। राज्यों के अन्य क्षेत्रों में, कुटुम न्यायालय (फेमिली कोर्ट) स्थापित किए जा सकते हैं यदि राज्य सरकारें ऐसा करना आवश्यक समझती हों।

    14वें वित्त आयोग ने उन जिलों में जिनमें कुटुंब न्यायालय उपलब्ध नहीं थे, वर्ष 2015 से वर्ष 2020 के दौरान 235 कुटुंब न्यायालयों की स्थापना करने की सिफारिश की थी। आयोग ने राज्य सरकारों से इस प्रयोजन के लिए, बढ़ाए गए कर हस्तांतरण (32% से 42%) के माध्यम से उपलब्ध बढे़ हुए राजस्व का उपयोग करने का भी अनुरोध किया है।

    जनवरी, 2023 की स्थिति के अनुसार, पूरे देश में 763 कुटुंब न्यायालय (फेमिली कोर्ट) कार्य कर रहे हैं।

    अधिक जानकारी के लिए https://dashboard.doj.gov.in/family-court-cases/ पर जाएँ ।